संस्कृति >> भारत की समकालीन कला : एक परिप्रेक्ष्य भारत की समकालीन कला : एक परिप्रेक्ष्यप्राण नाथ मागो
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चाक्षुष कलाएं मानव की सृजनात्मक प्रतिभा की मूल्यवान बहुरंगी अभिव्यक्ति हैं। ये किसी भी सभ्यता का अनिवार्य हिस्सा होती हैं। संस्कृति के हर क्षेत्र की तरह, कला में भी भारत ने अपना विपुल योगदान दिया है। प्रस्तुत पुस्तक में उस इतिहास को खोजने का प्रयास किया गया है जिसके फलस्वरूप हमारे देश की कला में समसामयिकता अथवा आधुनिकता की चेतना फलीभूत हुई। कला के क्षेत्र में, भारत के विभिन्न क्षेत्रों में, विभिन्न युगों में, और विभिन्न शैलियों के कलाकारों के मध्य पनपने वाली सांस्कृतिक गतिशीलता का विस्तृत ब्योरा हमें इसमें मिलता है। पुस्तक में विभिन्न कलाकारों की पेंटिंग्स, मूर्तिशिल्पों आदि के लगभग 300 रंगीन व श्याम-श्वेत चित्रों ने पुस्तक की महत्ता को और बढ़ा दिया है। यह भारत में समकालीन कला के संदर्भ में आम पाठक के लिए गाइड तथा विशेषज्ञों के लिए सुलभ-ग्रंथ का काम करेगी।
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